Saturday, January 28, 2012

मैं हूँ एक सिपाही (Main Hoon Ek Sipaahee)


मैं हूँ एक सिपाही
फैशन के सौदागर शुक से जब जाली में फसते हैं,
लोहू के प्यासे दुर्जन के डाव सुजन को ठगते हैं |
सती नारि पर धूर्त लुटेरा चीलों सा मंडराता है,
कहता "मैं हूँ एक सिपाही" बिना कौन रखवाला है ||

चटक मटक दिखलाने वाले जब जाली में फसते हैं,
गिरगिटसी रंगत के रंगी कंघी जूते के प्रिय यार|
ऐसे बाबूजन की बातें भली बुरी भी सहता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" इनकी सब तामील उठाता हूँ ||
कठिन क्लेश की ज्वालाओं में जलने को मैं जाता हूँ,
थोड़ी सी तनखा में अपनी गुजर बसर कर पाता हूँ |
तो भी वीर जनों का बाना हरदम धारे रहता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" सबका हुकुम बजाकर लाता हूँ ||

मतलब मतलब की सब करते बेमतलब मैं रहता हूँ,
सब लोगों की जान बचाने को अपनी मैं देता हूँ |
बादशाह दरबारी का मैं रोब दाब बिठलाता हूँ,
ताबेदारी मेरा दर्जा "मैं भी एक सिपाही हूँ" ||

रिपुजन के दिल को दहलाकर उथल पुथल मैं करता हूँ,
भाव प्रताप शिवाजी अर्जुन से रंग रग में मैं भरता हूँ |
रणकंकण को धारणकर मैं निबल हेतु बलि जाता हूँ,
मातृभूमि का बालवीर अदना "मैं एक सिपाही हूँ" ||

छोड़ उन्हें मैं देता हूँ, जो मेरा मान गिराते हैं,
फिर वे दुष्टों के पंजे में फंसकर मुझे बुलाते हैं |
धार प्रताप प्रतापवीर सा दुनिया का दुःख मैं हरता हूँ,
तो भी "मैं हूँ एक सिपाही" सरल भाव से रहता हूँ ||

झूठी नकली बेकस फैशन जब से भारत में आई,
दुखिया दीन दरिद्री निर्बल भूखी हा! जनता पाई|
अधः पाट से पराधीन हो रहे पुरजन गाई,
कहता "में हूँ एक सिपाही" बिना दशा बेबस पाई ||

कर्मवीर हो देश सुधारूं दानवीर हो देता दान,
रणरंगी होकर जय पाता वीरवृत्ति से पाता मान |
धर्मवीर हो धर्म पालता तपकर सिद्धि पाता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" दृढ़ता से टेक सब टिकाता हूँ ||

मुझसा जोखम भरा किसी का काम नहीं मैं पाता हूँ,
स्वार्थ लोभ से भरी मुहब्बत पास नहीं मैं लाता हूँ |
सच्चा सौदा करूं, झूठ की बात नहीं मैं करता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" साहस के बल विजय दिलाता हूँ ||

"मैं हूँ एक सिपाही" सरल भाव से रहता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही " इनकी सब तामील उठता हूँ,
"में हूँ एक सिपाही" दृढ़ता से सब टेक टिकाता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" बिना कौन रखवाला है ||
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