Saturday, January 28, 2012

जागिये (Jaagiye)


"जागिये"
(समस्या की पूर्ती)
२८.१०.१९२७
||दोहा||
(प्रभु शेषशायी से प्रार्थना)
शेषशयन! अब जागिये दुष्टदलन अनिमेष,
क्लेश शेष हर कीजिये सुखमय भारतदेश |
ब्रिटिश राज रवि उदय को हो गई बहुत अबेर,
आँख उघारो जागिये अब ना रहा अंधेर ||
उठो जागिये देखिये नयन ज्ञान के खोल,
सोते ही में ले गये चोर माल अनमोल |
सोते हो तो जागिये जागे होहु प्रवीण,
हो प्रवीण सिख दीजिये रहो न पर अधीन ||
(षट पदी छंद)
शिव से न्यारे रहे शक्ति को परकर छोडी,
बिता दिये दिन भले गिरे सब होड़ा होड़ी |
बात बड़ों की भूल यथोचित उन्नति मोड़ी,
जिसको जाना मित्र उसी ने आश मरोड़ी |
परमाकुल सब हो रहे आँख उघार निहारिये,
घर के रहे न घाट के भारतवासी जागिये ||||
ओरन की सिख सीख सभ्यता अपनी खोई,
कमला गई परदेस विकल हो मेघा सोई |
बढियां तरुवर काट बेल घटिया की बोई,
आलस घर घर जगा वीरता झुककर रोई |
श्री मलीन मुख की हुई योही जिये तो क्या जिये,
बहुत काल से सो रहे भारतवासी जागिये ||||
उन्नति की तलवार म्यान में पड़ी हुई है,
इन्द्रिय संयम छुरी जंग में जडी हुई है |
आत्मयोग के विमुख लालसा राज रही है,
दुःख दरिद्र के दास हुवे पर ध्यान नहीं है |
स्वर्ग सहोदर हिंद को नरक हा! न बनवाईये,
समझ बूझ मनमाहिं अब भारतवासी जागिये ||||
प्रतिभा के अवतार निबल बेकस हो बैठे,
उमगे लंठ लबार चोर क्या क्या कर बैठे |
देशी रहे उदास विदेशी मौज उड़ावें,
बन्धु पड़ोसी भूप मित्र संग जंग जगावे |
घोर अमंगल होरहा और न अब चुप साधिये,
हंत! कहाँ लग सो रहो नयन मसल उठ जागिये ||||
हे सुरेश! अब भेदभाव का भंडा फोड़ो,
ढोल पोल से जटिल कालका झंडा तोड़ो |
अड़ियल को अनखाय अंध विश्वास मरोड़ो,
अगुण गपोड़ी गुंड गांवडी सांगत छोडो |
सद्विचार को शोधकर सदाचार को पालिये,
बिगड़े को सुधराईये वेद विधाता जागिये ||||
बाल विवाह मिटाय ज़रा जारत्व छुडाओ,
गोकुल रक्षा करो ढोंग पाखण्ड उडाओ |
योगी योग प्रचार करो संयम सिखलाओ,
सती सत्यपथ गहो सुशीला ज्ञान पढाओ |
क्या न तुम्हारा काम यह कब लग हमहि बिसारिये,
होश संभारो प्रण करो उठो सम्हलिये जागिये ||||
(पञ्च चामर)
सुसत्यथा वही विनीत भाव से सुना दिया,
सुजान ने विवेक से प्रसन्न हो उठा लिया |
कथा समाप्त जान मित्र तालियाँ बजाईये,
उदार भाव से स्वदेश प्रेम हेत जागिये ||||
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(ग्वालियर राज्य हिन्दी साहित्य सम्मलेन के निमंत्रण पत्र ता: १८.१०.१९२७ के समस्या "जागिये" की पूर्ती में भेजी गई)

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