Saturday, February 25, 2012

लखातु है- (Samasyaa- Lakhaatu Hai)


समस्या - "लखातु है"
(हिन्दी के प्रतिरोधी के प्रति)
८.१.१९३२
फारस निवासी सदा फारसी को चाव राखे,
चीन वासी चीन की भाषा न दुरातु है|
जर्मन निवासी जर्मनी नी भाषा भूले नहिं,
फ्रांस परिभाषी फ्रांस भाषा लिख पातु है ||
अर्ब देश मानी भाषा अर्बी को साधे सदा,
बरमी न ब्रम्हदेश लीपी विसरातु है|
एक हिंद देश की अनोखी रीति देखी 'कृष्ण',
आंग्ला भाषा सीख हिन्दी लीपी दुलखातु है||||

जाने ना मराठी सो तो महाराष्ट्रवासी नाही,
 बांग्ला न जाने सो न बंगाली कहातु है |
मद्रासी न जाने ऐसो मद्रासी वासी कहा,
गुरुमुखी छांडे सो न पंजाबी जनातु है ||
सिंधी को न साधे सिंध देश को कलंक सोई,
संस्कृत दुरावे वेदधर्म बिन्सात है|
'कृष्ण' देशभाषा देउल्खावे देशभक्त कहा
हिन्दी को बिसारे सो तो हिन्दू ना लखातु है ||||

हिन्दुधर्म चिन्ह नाही धारत कपारये जो,
हिन्दू कीन्तु वेशभूषा छोरि हरखातु है |
हिन्दूसे न केस सीस हिन्दुसी न मुच्छधारे,
सीस खोलि हात बाट जात ना लजातु है|
हिन्दू की समुन्नती को मोह उर दूर करे,
हिन्दुधर्म गृन्थ सीखवेते सकुचातु है|
'कृष्ण' हिंद लेखनी ते हिन्दी लिख लाज करे,
हिन्दी दुलखात सो अहिन्दी लखातु है ||||

खुलो सीस घूमे ताते बंगवासी जैसो दिखे,
सफाचट्ट मुछ्वारो सूतकी लखातु है |
कोट पतलून नेकटाई से तो आंग्ल्वासी,
अर्धकट्ट मूछ्धारी फ्रेंच बनजात है ||
अंगरेजी लेखक होय आंग्ल भाषा प्रेमी लसे,
हस्ताखर देखूं तो अहिंदू सो जनातु है |
'कृष्ण' अस बहुरूपी हिन्दी काव्य करणहार,
हिन्दी ना लखात ना अहिन्दी सो लखातु है ||||
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