Friday, February 17, 2012

म्हारी डाबली खोवाणी (Mharee Dablee Khowanee)




म्हारी डाबली खोवाणी,
कोई ने लादी होवे तो दीजो जी,
म्हारी डाबली खोवाणी ||
रूपरंग नी घणी सुहाणी,
मन मोहन मोहाणी,
प्रिय परिपूर्ण प्रेम की खाणी,
सबने प्रियतम जाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

भरी नासका नयन लुभाणी,
केसरिया रंगराणी,
नयन नासिका रस बरसाणी,
प्रिय परिचित पेचाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

खाली होवे तो फिर भराणी
सब जन चित्त चुराणी,
दुखी दीन की मति भुर्माणी,
बारम्बार लुभाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

हाट बाट में भोग भवन में,
अक्षय सुख की खाणी,
भरी जेब मां टटोल जाणी,
हिरदा की हरखाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

योगी रोगी भोगी के प्रिय
प्रेमी की रजराणी,
सज्जन के सन्मान दिवाणी,
दुःख में धीर धराणी || म्हारी डाबली खोवाणी

शीत उष्म वर्षा ऋतू रोचक,
सो तो मगज जगाणी,
लोक प्रियता प्रेम बधाणी,
अप्रिय मति चकराणी  || म्हारी डाबली खोवाणी

क्लेश कष्ट किल्मिष मिटवाणी,
रोचक रंग रमाणी,
मित्रामित्र प्रेम परिचाणी,
करे अकल के शाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

धृति धीरज धोरण द्युति लाणी,
कपट कलंक कटाणी,
खल छल बल अज्ञान भुलाणी,
चोर जार छकवाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

आगम निगम रोच्य दिखलाणी,
नित्यानित्य सिखाणी,
अतिहित अनहित परिचय पाणी,
लोका लोक रमाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

जिसके कोई न पराई जाणी,
प्राण प्रिय सबने माणी,
कोमल करते कृपा कराणी,
काबे ईने नहीं झटकाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

भाव भव्या भाव विभव लचाणी,
यजन भजन रूचि लाणी,
"कृष्ण" भ्रमर अभिमान भुलाणी,
हिरदा ने हरखाणी || म्हारी डाबली खोवाणी

म्हारी डाबली खोवाणी,
कोई ने लादी होवे तो दीजो जी,
म्हारी डाबली खोवाणी ||
********************

1 comment:

  1. स्व. श्रीकृष्ण जोशी तपकीर/ नास्का के आदि थे एवं एक २-३ ग्राम की छोटी सी डिबिया सदैव अपने साथ अपनी बैठक की गादी के नीचे रखते थे | एक बार उनकी वह डिबिया उनकी बैठक की साफ़ सफाई के दौरान झाडू के साथ कहीं गुम हो गई | इस पर परिवार में अपनी लत को जग जाहिर करने से बचते हुवे एवं नाराजगी जाहिर करने के बजाय उन्होंने एक लघु काव्य की रचना की एवं सभी शुभेच्छुकों को सुनाते रहे. चूंकि उन्होंने किसी पर अपना गुस्सा प्रदर्शित नहीं किया और उनकी प्रौढ़ावस्था व् उनके तपकीर से लगाव को देखते हुवे उन्हें उनके पुत्र ने नई डिबिया भेंट की |

    ReplyDelete