Tuesday, February 14, 2012

भांग महिमा (Bhaang Mahimaa)

भांग महिमा
  

जाके खरीदी अरु मोल भयो पैसो,
सो चुकायदी न लाके घर ताहि को सिकाई  है |
सेक के गलायदीन घंटेभर बाद ताहि,
छान साफ़ कीन्ही अरु सिल्ली वे धराई है||
काली मिर्च लायके छदाम की मिले तामे,
कासनी बादाम एला आदि भी मिलाई है |
शक्कर अरु दूध में मिलाई तब नीकी भई,
विजया है निराली जाकी जगत प्रभुताई है ||
शंकर ने याही को विजया नाम दीनो सो,
दें विजय सर्वदा प्रताप तिहू काल में |
दूजो नाम याको तो विचार तरंगिणी है,
जासो नर डूबत है विचार तरंग ताल में |
शिवजी ने सिद्ध कियो योग केवल विजयासो,
देवे सो विजया आनंद कलिकाल में |
विजया के तीन वर्ण प्रत्येक में एक गुण,
विशुद्धता जय अरु याजनता हाल में ||
गांजे में दुर्गुण तासो इन्द्रिय शिथलायजाय,
आफू की पीनक तन छीजकसी जानी है |
कुछ्ला बिछ नाग आदि है पदार्थ दुर्विष्युक्त,
तिनके तो सेवन से शरीर की हू हानी है |
पंचरत्न नवरत्न एकादशरत्न की छनाई
भांग तामें तो विजया अपमानी है |
निज विजया छानी तिन सुख अवधी मानी
पुनि तासु कोऊ वस्तुको न अति सुखदा जानी है ||

No comments:

Post a Comment