Friday, February 17, 2012

होलिकोत्सव पर नेक सलाह (Holikotsav Par Nek Salaah)

होलिकोत्सव में नेक सलाह
१.१.१९३०

- दोहा-
उल्टी बोली है नहीं, सुलटी ही कहलाय,
कान मूँद सुन लीजिये, ननि कोऊ दरपाय ||
-छंद-
देशहित चाहो तो चांदी चहुँ और से ला,
अपनी ही मंडली में दान कर दीजिये |
मित्र भाव चाहो तो, मोटर घर माहि राखि,
बड़े बड़े अफसरों को शोकिया  घुमाईये  |
मान यदि चाहो तो हाथ से मिलाय हाथ,
अपनी मरालता काक में मिलाईये |
गौरव का शौक हो तो कूद कूद लेक्चर झाड़,
कार्यकारी युवकों को गधा बनाइये |
धन्यवाद् चाहो तो चंदा दे सोसायटी को
समाचार पत्रों के कॉलम रंगाइये |
नेकनामी चाहो तो खुशामती की पीठ ठोंक
बनकर सफ़ेद पोश फूट को मचारिये |
वाह वाह चाहो तो छल से दिखाय दांत
कविता की कालिमा कपार पे लगाइए |
- दोहा-
होली का उपहास है, कविकुल की वरभेट
कलियुग का श्रृंगार है हंसमुख जन की टेंट ||
"कृष्ण" न टूक हंसिये कहूँ दिखि जैहें दन्त
मनमोदक चख लीजिये, मदकारक मकरंद ||
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