मिट नहीं सकता
मिट नहीं सकता कभी लिक्खा हुआ तकदीर का,
बस नहीं चलता यहाँ, इन्सान की तदबीर का|
=मिट नहीं सकता कभी
मैं हूँ एक सिपाही
छोड़ उन्हें मैं
देता हूँ, जो मेरा मान गिराते
हैं,
फिर वे दुष्टों
के पंजे में फंसकर मुझे बुलाते हैं |
धार प्रताप प्रतापवीर
सा दुनिया का दुःख मैं हरता हूँ,
तो भी "मैं
हूँ एक सिपाही" सरल भाव से रहता हूँ ||
झूठी नकली बेकस
फैशन जब से भारत में आई,
दुखिया दीन दरिद्री
निर्बल भूखी हा! जनता पाई|
अधः पाट से पराधीन
हो रहे पुरजन गाई,
कहता "में
हूँ एक सिपाही" बिना दशा बेबस पाई ||
आंसू
ऐ आंसू आँख बचाके
चलदिये किधर कितराके |
दुखिया में दुःख दुसह दिखाते,
रसिया में रस रंग रमाते,
निर्मम मनुज मोह उपजाते,
कहो कौन तुम कंह्के,
चलदिये किधर कितराके ||
ऐ आंसू आँख बचाके
चलदिये किधर कितराके |
मणि माणिक मय रूप दिखाके,
मोतिक की अमोल धर काया,
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