[O][O][O][O] खादी [O][O][O][O]
किसानों को पोषे अबल विधवा के
दुःख हरे
पिन्जारों को पाले उदर जुलहा के
नित भरे |
बजाजों धोबी का खर्च बहुधा पूरण
करे,
स्वदेशी खादी से जगत हित जे जीवन
भरे ||
कपसों को बोके श्रम करत के पेट
भरदे,
विदेशी वस्त्रों को वृत करि
परित्याग करदे|
स्वदेशी धंधों से सुखद शुभ
साम्राज्य गुहते,
सदा खादी धारे हसत मुख निश्चिन्त
रहते ||
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