मैं हूँ एक सिपाही
फैशन के सौदागर शुक से जब जाली में फसते हैं,
लोहू के प्यासे दुर्जन के डाव सुजन को ठगते हैं |
सती नारि पर धूर्त लुटेरा चीलों सा मंडराता है,
कहता "मैं हूँ एक सिपाही" बिना कौन रखवाला है ||
चटक मटक दिखलाने वाले जब जाली में फसते हैं,
गिरगिटसी रंगत के रंगी कंघी जूते के प्रिय यार|
ऐसे बाबूजन की बातें भली बुरी भी सहता हूँ,
थोड़ी सी तनखा में अपनी गुजर बसर कर पाता हूँ |
तो भी वीर जनों का बाना हरदम धारे रहता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" सबका हुकुम बजाकर लाता हूँ ||
मतलब मतलब की सब करते बेमतलब मैं रहता हूँ,
सब लोगों की जान बचाने को अपनी मैं देता हूँ |
बादशाह दरबारी का मैं रोब दाब बिठलाता हूँ,
ताबेदारी मेरा दर्जा "मैं भी एक सिपाही हूँ" ||
रिपुजन के दिल को दहलाकर उथल पुथल मैं करता हूँ,
भाव प्रताप शिवाजी अर्जुन से रंग रग में मैं भरता हूँ |
रणकंकण को धारणकर मैं निबल हेतु बलि जाता हूँ,
मातृभूमि का बालवीर अदना "मैं एक सिपाही हूँ" ||
छोड़ उन्हें मैं देता हूँ, जो मेरा मान गिराते हैं,
फिर वे दुष्टों के पंजे में फंसकर मुझे बुलाते हैं |
धार प्रताप प्रतापवीर सा दुनिया का दुःख मैं हरता हूँ,
तो भी "मैं हूँ एक सिपाही" सरल भाव से रहता हूँ ||
झूठी नकली बेकस फैशन जब से भारत में आई,
दुखिया दीन दरिद्री निर्बल भूखी हा! जनता पाई|
अधः पाट से पराधीन हो रहे पुरजन गाई,
कहता "में हूँ एक सिपाही" बिना दशा बेबस पाई ||
कर्मवीर हो देश सुधारूं दानवीर हो देता दान,
रणरंगी होकर जय पाता वीरवृत्ति से पाता मान |
धर्मवीर हो धर्म पालता तपकर सिद्धि पाता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" दृढ़ता से टेक सब टिकाता हूँ ||
मुझसा जोखम भरा किसी का काम नहीं मैं पाता हूँ,
स्वार्थ लोभ से भरी मुहब्बत पास नहीं मैं लाता हूँ |
सच्चा सौदा करूं, झूठ की बात नहीं मैं करता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" साहस के बल विजय दिलाता हूँ ||
"मैं हूँ एक सिपाही" सरल भाव से रहता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही " इनकी सब तामील उठता हूँ,
"में हूँ एक सिपाही" दृढ़ता से सब टेक टिकाता हूँ,
"मैं हूँ एक सिपाही" बिना कौन रखवाला है ||
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