वेदान्त ज्ञान महिमा
१६.११.१९२९
ज्ञान बिन सत्यासत्य, उर में विवेक नाहीं
ज्ञान बिन धर्म भाव, पास ही न आयेंगे |
ज्ञान बिन भक्ति कहाँ, भक्ति बिन ध्यान कहाँ,
ध्यान बिन ईश की कृपा, न 'कृष्ण' पायेंगे |
ज्ञान बिन मोह, मद, मान, ममता लुभात,
ज्ञान बिन सारे सुख साज, यों ही जायेंगे |
ज्ञान बिन मोक्ष, योग, भोग का विवेक कहाँ,
ज्ञान बिन जीव कर्मबंधन बढ़ायेंगे ||
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