Monday, July 30, 2012
खादी- Khadi
खादी को जबते तजी
,
तब से बिगड़ा वेश
,
सारी सम्पति खो गई, भूखा मरता देश
|
भूखा मरता देश, बस न अपना न हमारे
वसुधा रही न हाथ, विदेशी सब धज धारे
|
कहे
'
कृष्ण
'
सब भांति भी भारत बरबादी
,
ताजिये सब जंजाल पै, न कहुं तजिये खादी
||
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