देश-भक्त
देश सुधार
हिये धरिके जिन प्राण दिये नर धन्य कहाये
कीन्ह
विरोध सुलोभिन को भय छोड़ भले नर रत्न सुहाये
जेल गये
बहु कष्ट सहे भाव वैभव को मल से तजि पाये
ते नरसिंह विभूषण हैं जिन लाखन के हित
सीस कटाये||
मोह तजो अवधेश धराहित रावण गर्व सवंश
नसायो
मोह तजो इक
गिद्ध जटायु सिया हित में निज पंख कटायो
मोह तजो
प्रहलाद तहां नर के हरि ने अवतार धरायो
मोह तजो
हनुमान महा प्रण से रण में विजयी लाख पायो||
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